Struggle

Struggle

Monday, March 7, 2011

कितनी बेबस है नारी जहां में
न हंस पाती है, न रो पाती है
औरों की खुशी और गम में
बस उसकी उमर कट जाती है

नारी से बना है जग सारा
नारी से बने हैं तुम और हम
नारी ने हमें जीवन देकर
हमसे पाए अश्रु अपरम
इन अश्रु का ही आंचल पकड़े
बस उसकी उमर कट जाती है

नारी का अस्तित्व देखो तो ज़रा
कितना मृदु स्नेह छलकाता है
कभी चांदनी बन नभ करे शोभित
कभी मेघों सी ममता बरसाता है
कुछ दी हुई उपेक्षित श्वासों में
बस उसकी उमर कट जाती है

सदियों को पलटकर देखो तो
हर सदी ने यही दोहराया है
नारी को जी भर लूटा है
नारी को खूब सताया है

इस विश्व में स्वयं को तुम
अगर मानव कहलवाना चाहते हो
नारी को पूजो , पूजो नारी को
जो फिर जीवन पाना चाहते हो।
तन चंचला
मन निर्मला
व्यवहार कुशला
भाषा कोमला
सदैव समर्पिता |

नदिया सा चलना
सागर से मिलना
खुद को भुलाकर भी
अपना अस्तित्व सभलना
रौशन अस्मिता |

सृष्टि की जननी
प्रेम रूप धारिणी
शक्ति सहारिणी
सबल कार्यकारिणी
अन्नपूर्णा अर्पिता. |

मूरत ममता
प्रचंड क्षमता
प्रमाणित विधायक
सौजन्य विनायक
अखंड सहनशीलता |

आज का युग तेरा है परिणीता
नारी तुझ पर संसार गर्विता | नारी दिवस की हार्दिक शूभेच्छा :)