दुनिया भर के गम थे
दुनिया भर के गम थे
और अकेले हम थे
साथ न कैसे देते
गम भी मेरे गम थे
जख्मो की बस्ती से
गायब क्यों मरहम थे
सपने क्या भंग हुए
दिल दरहम-बरहम थे
टीस बहुत थी सुर में
बस स्वर ही मद्धम थे
आंखे तो गीली थीं
सूखे मन मौसम थे
देख तुम्हे साथ मेरे
यार हुए बेदम थे
श्याम,संवरते कैसे
सब किस्मत के ख़म थे
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